जौनपुर। जंघई से मछलीशहर जाते समय मछलीशहर ब्लाक मुख्यालय के पास आते जाते राहगीरों को मछलीशहर वन क्षेत्राधिकारी कार्यालय के पास सहसा एक सारस विचरण करते दिख जाता है। सारस को देखते ही काफी लोग ब्रेक मार देते हैं और सोचते हैं कि क्यों न इसकी एक सेल्फी ले ही ली जाये।
वास्तव में यह सारस वन विभाग के कर्मचारियों को घायल अवस्था में मिला था लेकिन रेंज में कार्य करने वाले कर्मचारियों ने न केवल इसका इलाज किया बल्कि उन्होंने इसे अपने परिवार की भांति देखभाल की। फिर क्या यह सारस रेंज के कर्मचारियों के साथ घुल-मिल गया और रेंजर कार्यालय को ही अपना घर मान बैठा। रेंजर कार्यालय में ही पौधशाला भी है जिस कारण इसे काफी सीमा तक प्राकृतिक आवास भी मिल गया है। सारस के पास जाने पर यू के जी के छात्र साहस सिंह फूले नहीं समा रहे हैं और करीब से देखकर कहते हैं कि सारस से मैं बहुत छोटा हूं।
आपको बताते चलें कि प्रदेश में लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर में ही बड़े चिड़ियाघर हैं। तीनो शहर जौनपुर से काफी दूर हैं। ऐसे में जनपद के आठ-दस लाख बच्चों की आंखें जंगली जीव जंतुओं और पक्षियों को देखने के लिए तरस जाती हैं।
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