लखनऊ। शहर में डेंगू लगातार हमलावर हो रहा है। गुरुवार को 29 नए लोगों की डेंगू रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके साथ अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा हैं। डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू 2 स्ट्रेन के मरीज हर साल मिलते हैं। ऐसे में इससे घबराने की जरूरत नहीं है। बस सावधानी बरतें।
बीते चौबीस घंटों के दौरान काकोरी व मलिहाबाद में 1-1, ऐशबाग, चन्दरनगर और रेडक्रास में 2-2, इन्दिरानगर, चिनहटव सिल्वर जुबली में 3- 3, अलीगंज, एनके रोड व टूडियागंज में 4-4 मरीजों की डेंगू रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। यह सभी मरीज बीते एक सप्ताह से बुखार से ग्रसित थे। इनकी जांच करायी गयी तो डेंगू की पुष्टि हुई है। चिन्ता की बात यह है कि शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी डेंगू के मरीज मिलने लगे हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. मनोज अग्रवाल ने बताया कि मच्छरों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा। टीमों ने बुधवार को 1109 घरों और आस-पास मच्छरजनित स्थितियों का सर्वेक्षण किया गया। 7 घरों में मच्छरजनित स्थितियां मिलने पर नोटिस जारी किया गया। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की संयुक्त टीमों ने घसियारी मण्डी, सीएचसी ऐशबाग,केन्द्रीय विद्यालय बेलीगारद अलीगंज, आर्या कन्या इण्टर कालेज न्यू हैदराबाद, विष्णु लोक कालोनी का गेट, पारा राम विहार कालोनी टूडियागंज, पटेल नगर नियर आरएलबी स्कूल व एसजीपीजीआई मनी मंत्रा काम्प्लेक्स के आस-पास लार्वा रोधी रसायन और फागिंग का कार्य कराया गया। केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक और मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डी हिमांशु का कहना है कि डेंगू के चार स्ट्रेन (1,2,3,4 ) होते हैं। इसमें डेंगू 1 और 2 स्ट्रेन का संक्रमण अधिक होता है। यह कोई नया नहीं है। जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है उन्हें दोबारा डेंगू होता है तो उसमें डेंगू 2 स्ट्रेन ज्यादा पाया जाता है। यदि माहभर के अंदर दो बार डेंगू की चपेट में आए हैं तो विशेष सावधानी बरतें।
शरीर पर चकत्ते पड़े तो तुरन्त डॉक्टर को दिखायें
डा. हिमांशु बताते हैं कि सामान्य स्थिति में डेंगू का असर आठवें दिन से कम होने लगता है लेकिन अगर बीपी बीपी कम होने लगे। शरीर पर लाल चकत्ते नजर आने लगे। पेट में दर्द, उल्टी जैसी स्थितिहो, तोबिना किसी देरी के डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वह बताते हैं कि डेंगू 2 स्ट्रेन में सॉक सिंड्रोम की संभावना रहती है। यानी मरीज के आंतरिक नसों से रक्तस्त्राव हो जाता है। ऐसे में पेट में पानी भरने, फेफड़े में संक्रमण भी होता है। आमतौर पर पांचवें से आठवें दिन के बीच खतरनाक स्थिति होती है।