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सावधान: ठंड बढ़ते ही बच्चों में निमोनिया का खतरा, सांस फूलने पर तुरंत डॉक्टर से करें संपर्क

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HELTH News

देशभर में ठंड तेजी से बढ़ रही है, और तापमान में गिरावट के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में छोटे बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है। ठंड के इस मौसम में बच्चों में निमोनिया का खतरा सबसे अधिक रहता है, जो समय पर इलाज न मिलने पर गंभीर रूप ले सकता है।

ठंड में क्यों बढ़ता है निमोनिया का खतरा?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ठंड के मौसम में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे वे संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। निमोनिया एक ऐसा संक्रमण है, जो बच्चों के फेफड़ों को प्रभावित करता है। खासतौर पर खांसी, जुकाम और बुखार के लक्षणों को नजरअंदाज करना बच्चों के लिए घातक हो सकता है।

निमोनिया के लक्षण:

  • लगातार खांसी और जुकाम।
  • हल्का या तेज बुखार।
  • सांस लेने में तकलीफ और तेज सांस लेना।
  • सीने में घरघराहट की आवाज।
  • भूख न लगना और सुस्ती।

यदि इन लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। समय पर इलाज से बच्चे को इस गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है।

बचाव के उपाय:

  1. गर्म कपड़े पहनाएं: बच्चों को ठंड से बचाने के लिए उन्हें सिर से पैर तक गर्म कपड़े पहनाएं। टोपी, दस्ताने और मोजे पहनाना न भूलें।
  2. गीला डायपर तुरंत बदलें: ठंड के दिनों में गीले डायपर से बच्चे को ठंड लग सकती है। हर 2 घंटे में डायपर चेक करें और गीला होने पर तुरंत बदल दें।
  3. पानी के संपर्क से बचाएं: बच्चों को ठंडे पानी से दूर रखें और उन्हें गर्म पेय पदार्थ दें।
  4. टीकाकरण कराएं: निमोनिया से बचाव के लिए टीकाकरण बेहद जरूरी है। डॉक्टर से सलाह लेकर समय पर बच्चों को निमोनिया का टीका जरूर लगवाएं।
  5. स्वच्छता का ध्यान रखें: बच्चों के आसपास सफाई बनाए रखें। उन्हें धूल और धुएं से बचाएं, क्योंकि ये उनके फेफड़ों पर बुरा असर डाल सकते हैं।

क्या करें अगर सांस लेने में तकलीफ हो?

यदि बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, सीने में घरघराहट सुनाई दे रही हो, या बुखार लगातार बना हुआ हो, तो इसे हल्के में न लें। ऐसे में बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती इलाज से निमोनिया के गंभीर प्रभावों से बचा जा सकता है।

विशेषज्ञ की सलाह:

ठंड के मौसम में बच्चों की देखभाल बेहद जरूरी है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को दिन में धूप में थोड़ी देर बैठाएं और उन्हें पोषण से भरपूर भोजन दें। इसके अलावा, यदि बच्चे में किसी भी प्रकार की असामान्य लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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