बता दे कि जौनपुर जिले के बक्सा थाना अंतर्गत अगरौरा गांव की निवासी हैं शीला देवी ने अपने अधिवक्ता समर बहादुर यादव और ऋषि चंद्र यादव के जरिए अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया। उनका आरोप है कि 2 सितंबर 2024 की रात लगभग 2 बजे पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर, एसटीएफ प्रभारी डीके शाही, कोतवाल सुल्तानपुर, थाना बक्सा पुलिस व कुछ पुलिसकर्मी उनके घर पहुंचे और उनके बेटे मंगेश को पूछताछ के लिए ले जाने की बात कहकर घर से उठा ले गए। शीला देवी के मुताबिक, पुलिस ने यह आश्वासन दिया था कि मंगेश को पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाएगा। लेकिन अगले कुछ दिनों में, पुलिस ने कई बार उनके घर आकर वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई और कहा कि मंगेश पिछले दो-तीन महीनों से घर पर नहीं था।
मृतक की मां ने अपने बयान में बताया कि 5 सितंबर 2024 को पुलिस ने उन्हें जानकारी दी कि उनके बेटे मंगेश की लाश सुल्तानपुर पोस्टमार्टम हाउस में पड़ी है। इस खबर से उनका परिवार सदमे में आ गया और गांव के लोग भी इकट्ठा हो गए। पुलिस की निगरानी में शीला देवी और उनके परिवार ने सुल्तानपुर जाकर मंगेश का शव प्राप्त किया। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया है कि मंगेश को पूछताछ के बहाने घर से उठाकर, बाद में फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया। यह सब ‘गुड वर्क’ दिखाने के लिए किया गया।
शीला देवी का आरोप है कि 15 दिन बीत जाने के बावजूद, उन्हें मंगेश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं दी गई है। मामले की मजिस्ट्रियल जांच चल रही है। निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है, न तो एनकाउंटर करने वाले अधिकारियों को उनके पद से हटाया गया न निलंबित किया गया। पुलिस कर्मियों द्वारा साक्ष्य व साक्षियों को प्रभावित करने की संभावना बनी हुई है। मामले की जांच आवश्यक है। वादी ने जरिए हालतनामा एसडीएम सुलतानपुर, मानवाधिकार आयोग, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, डीजीपी व प्रमुख सचिव को प्रार्थना पत्र दिया है। एसपी व अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की कोर्ट से मांग की गई।