बदलापुर (जौनपुर ): उत्तर प्रदेश के जनपद जौनपुर के बदलापुर थाना क्षेत्र में उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। हल्का लेखपाल, शाहगंज के अरेंजर, चकबंदी कार्यालय के चपरासी सहित कुल सात लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी एवं अभिलेखों में हेरफेर के आरोप में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले के बदलापुर थाना क्षेत्र के रैभानीपुर गांव निवासी शिवकुमार दुबे पुत्र मंगल प्रसाद दुबे ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि हल्का लेखपाल कैलाश, अरेंजर रमेश (शाहगंज), चकबंदी कार्यालय बदलापुर के चपरासी मुरारी सहित पारसनाथ, कृष्णकांत, कमलाकांत और चिंतामणि उपाध्याय ने आपसी साठगांठ के तहत अभिलेखों में फर्जी तरीके से हेरफेर की।
शिवकुमार दुबे ने बताया कि उन्होंने लक्ष्मीकांत से उनकी भूमि का पंजीकृत बैनामा कराया था। दाखिल-खारिज हेतु आवेदन देने पर उन्हें ज्ञात हुआ कि भूमि के अभिलेख में पहले से ही एक आदेश दर्ज है, जिसमें दिनांक 5 अगस्त 2010 को चक संख्या 42 में अंकित खातेदार इनरदेई का नाम हटाकर पारिवारिक समझौते के आधार पर पारसनाथ पुत्र दूधनाथ का नाम असल काश्तकार के रूप में दर्ज किया गया है।
शिवकुमार दुबे के अनुसार, यह आदेश पूरी तरह से फर्जी, कूटरचित और झूठा था, जिसे अभियुक्तगण द्वारा षड्यंत्र पूर्वक सरकारी अभिलेखों में हेरफेर कर तैयार किया गया। लक्ष्मीकांत से उचित मूल्य पर भूमि क्रय करने के कारण अभियुक्तगण ने प्रतिशोधवश साजिश के तहत चकबंदी अभिलेखों में फर्जीवाड़ा किया। शिवकुमार ने यह भी आरोप लगाया कि चकबंदी कार्यालय में तैनात कर्मचारी मुरारी ने मृतक इनरदेई का फर्जी बयान पत्रावली में जोड़ते हुए स्वयं अपने हस्तलेख से अभिलेख तैयार किया, जो एक गंभीर आपराधिक कृत्य है।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी वाराणसी ने दिनांक 24 मार्च 2025 को अपने आदेश में 5 अगस्त 2010 के कथित आदेश को निरस्त करते हुए इसे फर्जी करार दिया। न्यायालय के निर्देश पर बदलापुर थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और अब पुलिस द्वारा मामले की गहन जांच की जा रही है।