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Jaunpur News: गरीबी की बेड़ियों में जकड़ा परिवार, शौचालय बना ठिकाना

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सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुकी है विधवा महिला

अंत्योदय कार्ड की जगह बनाया गया है पात्र गृहस्थी कार्ड

देशभर में विकास की बातें हो रही हैं, सरकारी योजनाओं की झड़ी लगी है, और प्रशासनिक दावे आसमान छू रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, जो इन दावों की सच्चाई पर सवालिया निशान लगा देती हैं।

जौनपुर के केराकत तहसील क्षेत्र के सेनापुर ग्रामसभा के दाऊदपुर पुरवे की निवासी गीता देवी (50 वर्ष) पत्नी स्वर्गीय रामाश्रय यादव, विगत दस वर्षों से अपने नाबालिक पुत्र रितेश यादव के साथ शौचालय में रहने को मजबूर हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि उनके पास सिर छिपाने के लिए एक अदद छत भी नहीं है। भीषण गर्मी हो या हाड़ कंपाती सर्दी, यही शौचालय उनकी पनाहगाह है और पास में खड़ा पेड़ उनकी छत।

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14 साल पहले छूटी जीवन संगिनी की परछाई

गीता देवी बताती हैं कि उनके पति का निधन हुए 14 वर्ष बीत चुके हैं। पहले उनका परिवार मिट्टी के मकान में रहता था, लेकिन बारिश की मार ने घर की दीवारें गिरा दीं। उस त्रासदी के बाद परिवार के पास रहने का कोई ठिकाना नहीं बचा। कोई और विकल्प न देखकर, गीता देवी और उनके बेटे ने गांव के सार्वजनिक शौचालय को ही अपना आशियाना बना लिया।

गृहस्थी की चौखट बनी शौचालय की दीवारें

इस शौचालय में ही उनका सारा सामान रखा है। खुले आसमान के नीचे गीता देवी खाना पकाती हैं और वहीं खा-पीकर रात में चारपाई डालकर सो जाती हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ देने की बात कहने वाले अधिकारी शायद ही इस ओर कभी मुड़े हों। उनके पास शौचालय और राशन कार्ड के अलावा किसी अन्य सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं है।

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अंत्योदय कार्ड का सपना अधूरा

गीता देवी ने बताया कि उन्हें अंत्योदय कार्ड की आवश्यकता है, लेकिन उनके पास पात्र गृहस्थी कार्ड है। इस कार्ड पर प्रति यूनिट केवल 5 किलो राशन मिलता है। परिवार में दो सदस्य हैं, लेकिन राशन कार्ड पर केवल एक ही सदस्य का नाम दर्ज है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 5 किलो राशन से एक महीने का गुजारा संभव है?

आवास योजना की राह तकती नजरें

गीता देवी का पुत्र इस समय शहर में रोज़ी रोटी के लिए गया हुआ है। लेकिन उनके अनुसार, उनकी सबसे बड़ी जरूरत राशन से अधिक एक सरकारी आवास है, जहां वह सुकून से रह सकें।

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