सुजानगंज (जौनपुर)। मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू एवं कालातीत होने के साथ साथ अर्धनारीश्वर के रूप में है, जो अद्वितीय है। इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि जहाँ यह मंदिर स्थापित है वहां पहले घनी झाड़िया थी। 14 वीं सदी की बात है लोग अपनी गायो को चराने के लिए लाते थे। एक दिन एक गाय इसी घनी झाड़ी में घुस गयी और काफी खोजबीन के बाद भी नहीं मिली। शाम को जब स्वामी अपनी गाय को ढूंढते ढूंढते झाड़ी के समीप पंहुचा तो वहां का दृश्य देख आश्चर्यचकित रह गया। गाय एक स्थान पर शांतचित्त खड़ी थी और उसके स्तन से दूध अपने आप एक काले पत्थर पर गिर रहा था। इस दृश्य को देखकर उसने कई लोगो को इसके विषय में बताया तभी किसी को स्वप्न आया कि उस पत्थर को उखाड़ो मत बल्कि वही एक मंदिर का निर्माण करा दो। इसके बाद सामूहिक रूप से इस मंदिर का निर्माण करा दिया गया।
रिपोर्ट - जयप्रकाश तिवारी
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