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सुजानगंज : भागवत़ कथा श्रवण मात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं पं0 सुधाकर मिश्रा ।


घर आनंद भयो,जय कन्हैया लाल की भजन पर झूमे श्रोता

सुजानगंज (जौनपुर)  

भागवत कथा सुनने मातृ से ही  भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं उक्त बातें बाल्हामऊ ग्रामसभा निवासी मुख्य यजमान राजकुमार पाण्डेय पत्नी कलावती देवी के निवास‌ पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन आचार्य पं0 सुधाकर मिश्र ने भक्ति ज्ञान एवं वैराग्यरूपी श्रीमद् भागवत कथा से त्रिवेणी प्रवाहित की।
कथा के चौथे दिन गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्री राम अवतार व श्री कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंगों का सिलसिलेवार वर्णन कर श्रोताओं को भक्ति रस से भर दिया। उन्होंने बताया कि जब जब पृथ्वी पर अधर्म का बोलबाला बढ़ जाता है तो सर्वत्र हिसा और उपद्रव दिखाई देता है। गोमाता, संतों व ब्राह्मणों के ऊपर जब दुष्ट लोग अत्याचार करते हैं तब प्रभु वैकुंठ त्याग कर धराधाम में अवतरित होते हैं। कथा प्रसंग में श्री राम अवतार के साथ संक्षिप्त में राम कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान कभी जन्म नहीं लेते, अवतार धारण करते हैं, प्रकट होते हैं और प्रकट वहीं होते हैं जो पहले से विद्यमान हो। भगवान तो कण कण में मौजूद रहते हैं। श्री राम अवतार कथा के दौरान उन्होंने कहा कि श्री राम कथा कलयुग में कामधेनु के समान है। कलिकाल में राम नाम स्मरण एवं भागवत कथा श्रवण मात्र से ही जीव कष्टों से छुटकारा पा सकता है। वहीं, उन्होंने बताया कि विश्वास से कथा श्रवण करने से कथा जीवन का सुधार कर देती है। वैसे भी राम कथा श्रवण करने से जीव का संशय समाप्त हो जाता है और सारे दुख दूर हो जाते हैं। उन्होंने कथा श्रवण पर जोर देते हुए कहा कि आवश्यकता है कि हर घर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम व श्री कृष्ण अवतरित हों। उनके नैतिक मूल्यों की स्थापना हो। भगवान श्री कृष्ण व मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का धरा आगमन सच्चे अर्थों में मानवता की स्थापना के लिए हुआ था। इस अवसर पर आचार्य ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव की बड़ी ही मनोरम कथा का बखान किया। इस कड़ी का सबसे अहम पहलू यह रहा कि जब भगवान को सिर पर टोकरी में लेकर पहुंचे तब पूरा कथा स्थल नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की.., जयकारों से एक तरह से वृंदावन में तब्दील हो गया। पुष्पों की वर्षा करते हुए श्रद्धालुओं ने होली खेलते हुए कन्हैया का जन्म उत्सव मनाया। श्रद्धालु जमकर झूमे और फूलों की वर्षा की। शुरुआत में आचार्य ने गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन अवतार आदि प्रसंगों का वर्णन किया। अंत में आरती के पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसाद सेवन कराया गया।

विशेष संवाददाता - जय प्रकाश तिवारी

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