Jaunpur News: बुधवार को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से सम्बद्ध स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों की विभिन्न समस्याओं को लेकर स्ववित्तपोषित प्रबंधक महासंघ की एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश तिवारी ने की, जिसमें पूर्वांचल क्षेत्र के अनेक महाविद्यालयों के प्रबंधक शामिल हुए।
बैठक में प्रबंधकों ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली और बढ़ते आर्थिक भार को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आए दिन महाविद्यालयों पर मनमाने तरीके से विलंब शुल्क थोपे जा रहे हैं, जिससे कई शिक्षण संस्थान आर्थिक रूप से टूटने की कगार पर हैं।
मान्यता विस्तार पर मनमाना जुर्माना
प्रबंधकों ने बताया कि जिन महाविद्यालयों को विश्वविद्यालय ने मान्यता विस्तार प्रदान किया, लेकिन उनकी स्थायी मान्यता की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी, उन पर अब ₹30,000 प्रति वर्ष की दर से अर्थदंड लगाया जा रहा है। यह आर्थिक दंड न तो शासन द्वारा अनुमोदित है और न ही किसी विधिक आदेश के अंतर्गत आता है। इसे विश्वविद्यालय प्रशासन की एकतरफा और मनमानी कार्रवाई बताया गया।
महाविद्यालयों की चेतावनी: ताले लगाकर सौंप देंगे चाबी
बैठक में प्रबंधकों ने तीखी नाराज़गी जताते हुए कहा कि यदि यह दंडात्मक नीति वापस नहीं ली गई तो वे विवश होकर महाविद्यालयों को बंद कर देंगे और विश्वविद्यालय प्रशासन को महाविद्यालयों की चाबी सौंप देंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
समस्या समाधान को लेकर प्रयास की घोषणा
बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉ. दिनेश तिवारी ने उपस्थित प्रबंधकों को आश्वस्त किया कि इस विषय में वे शीघ्र ही माननीय कुलपति से मिलकर वार्ता करेंगे और दंड समाप्त करवाने का प्रयास करेंगे। यदि विश्वविद्यालय स्तर पर समाधान नहीं होता है तो मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री एवं राज्यपाल से मिलकर इसे शासन स्तर पर उठाया जाएगा।
बैठक में उपस्थित प्रमुख प्रबंधक
बैठक में महासंघ के संरक्षक श्री अशोक दुबे, भूपेंद्र यादव, मनीष यादव, विनय सिंह, विनोद तिवारी, रत्नेश तिवारी, संजय सिंह, राघवेंद्र कुमार, अंजनी, राजकुमार मौर्य सहित दर्जनों महाविद्यालयों के प्रबंधक उपस्थित रहे।